सेकंडरी इनफर्टिलिटी की समस्या तेजी से बढ़ रहीं है, खासतौर पर शहरी जीवनशैली अपनाने वाले दंपतियों में | आइए जानते हैं इसकी वजह क्या है और कैसे निदान कर सकते है॥॥
1. उम्र एवं हार्मोनल असंतुलन:
थायरॉइड (Thyroid), पीसीओएस (PCOS), इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance) जैसी समस्याएं महिलाओं में अंडोत्सर्ग (Ovulation) को प्रभावित करती हैं । इस तरह सेकंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) की समस्या बढ़ रही है । पहली संतान के बाद दूसरी संतान में अंतराल बढ़ने से प्रजनन क्षमता (Fertility) पर उम्र का असर पड़ता हैं ।
2. गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब की समस्याएं:
पहली डिलीवरी के दौरान हुए ऑपरेशन, संक्रमण या गर्भपात के बाद हुई जटिलताओं से गर्भाशय या ट्यूबस को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे दोबारा गर्भधारण में मुश्किल आती है। तनाव, धूम्रपान, शराब, मोटापा और खराब जीवनशैली प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं ।
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन से हार्मोन संतुलन सुधारता है । ब्लड टेस्ट (Blood Test), हार्मोन लेवल जांच (Hormone Level Test), सोनोग्राफी (Sonography), एचएसजी (ट्यूबस की जांच) आदि जांच करवाएं । ओवुलेशन इंडक्शन (Ovulation Induction), आइयूआइ (IUI) एवं आइवीएफ (IVF) जैसे विकल्प भी उपलब्ध हैं।